Monday, 30 December 2002

PYAR PANA YA NIBHANA प्यार पाना या निभाना

 


30 Dec 2002 - write up - thoughts

this is original, see elsewhere Kannada version of प्यार पाना या निभाना pyar paana ya nibhana 

अक्सर लोग ऐसा सोचते हैं, प्यार किया नहीं जाता पर प्यार हो जाता है । यह कहाँ तक सही है यह सोचने की बात है।  प्यार पाना या निभाना - इन दोनों में कौनसा आसान है और कौनसा मुश्किल है ? अथवा प्यार पाने के बाद उसको निभाना आसान है या मुश्किल ?  प्यार का मतलब यहाँ सिर्फ मिया बीवी के बीच नहीं, भाई बहन के साथ, माँ से प्यार या बाप से प्यार, दोस्तों के बीच.. भी समझिये  

यहाँ दिए हुए विचारों को आप कृपया पढ़िए ।

  1. दोनों ही आसान है पर कारण मत पूछिए अथवा सोचा नहीं 
  2. दोनों ही मुश्किल है पर कारण सोचा नहीं अथवा मत पूछिए 
  3. प्यार पाना आसान है पर निभाना मुश्किल होता है 
  4. प्यार पाना मुश्किल है क्यों की प्यार मिलेगा तो ही निभाने का सवाल आता है 
  5. प्यार एक पल में हो जाता है लेकिन निभाना जिन्दगी भर पड़ता है 
  6. प्यार निभाना मुश्किल है क्यों की एक दूसरे में छोटी छोटी बातों में भिन्न प्रतिक्रिया होती है 
  7. प्यार फूलों की तरह है और फूलदानी में प्यार को आसानी से डाल सकते हैं, पर फूलों की खुशबू यानि प्यार को बरकरार रखना मुश्किल होता है 
  8. जिंदगी में कड़वी सच्चाई होती है, प्यार निभाना मुश्किल है 
  9. जो प्यार करने की हिम्मत रखते है निभाने से भी डरते नहीं हैं 
  10. दोनों आसान है पर एक दूसरे को समझ ने की शक्ति चाहिए
  11. पहले करो आपकी पहचान बाद में दोनों आसान है 
  12. संस्कार अच्छा है तो प्यार निभाना आसान है 
  13. मैं प्यार को निभाने केलिए तैयार हूं  अगर वह भी निभाता/ निभाती है 
  14. प्यार पाने केलिए मुश्किलें उठानी पड़ती है, पानेपर निभाना मुश्किल नहीं होता  क्योंकि  मुश्किल उठाना एक आदत सा बनजाता है 
  15. जिंदगी का सवाल है भाई, जरूर निभाना मुश्किल है 

आप किस विचार पर आपका मत चलाते हैं ? बताइए मत, आप के पास ही रखिए। 

इन सब विचारों से मुझे ऐसा लगता है, प्यार पाना या निभाना दोनों मुश्किल नहीं होती अगर आपका प्यार सच्चा हो और सच्चे मन से आप प्यार करते हो ।  

और मिया बीवी के बीच...
प्यार करना सिर्फ शादी से पहले की बात नहीं होती । शादी के बाद प्यार दुगुना होना चाहिए । प्यार को खुले मन से निभाना चाहिए । हिटलर शाही मत दिखाइए । आपके सहयोगी को समझिए, उनका विचारों का सन्मान कीजिए । और एक सबसे मुख्य विषय पर ध्यान दीजिए, ओ मुख्य विषय है 'समझौता' (कॉम्प्रोमाइज)। 

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end- elloo ನಡೆದದ್ದು ಅಲ್ಲ imagination thoughts documented ಸಂಟೈಂ ಇನ್ 2002 by ಸುರೇಶ್ ಹುಲಿಕುಂಟಿ

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